हिन्दी हमारी बहुसंख्यक आबादी की मातृभाषा है। यह एक मज़बूत धागे की तरह है जो हमारे देश की विविधता में एकता को मज़बूत करते हुए, 28 अनमोल अद्वितीय मोतियों को एक साथ बाँधकर रखती है। यह हमें हमारे "एक भारत, श्रेष्ठ भारत" के दृष्टिकोण की दिशा में ले जाती है।
बढ़ते वैश्वीकरण के साथ, हम धीरे-धीरे अपनी जड़ों को भूलने लगे ,इसलिए हिंदी के महत्त्व पर प्रकाश डालने हेतु, हिन्दी सहित्यिक एवं वाद-विवाद समिति (HLAD) की स्थापना की गई थी। हिन्दी साहित्यिक एवं वाद-विवाद समिति ,छात्रों के अभिव्यक्ति कौशल और संपूर्ण व्यक्तित्व को विकसित करने के लिए जानी जाती है। समिति विभिन्न गतिविधियों जैसे कवि सम्मेलन, रचनात्मक लेखन, वाद-विवाद, प्रश्नोत्तरी, विभिन्न कार्यक्रमों का मंच संचालन एवं कार्यशालाओं के माध्यम से छात्रों को उभरने का अवसर प्रदान करती है।
जैसा कि कहा जाता है कि संसार तीन मूल भागों में विकसित है - "आकाश",
"धरती" एवं "पाताल"। ठीक उसी भांति हिन्दी साहित्यिक एवं वाद-विवाद समिति
के भी तीन मुख्य अविभाजनिय अंग हैं।
लेखन दल जैसे "आकाश"। जिस भांति अंबर अनंत है, उसी भांति इनके विचार भी !
लेखन टीम अपनी खूबसूरत सोच व रचनात्मक लेख के लिए जानी जाती है। लेखन का
संपूर्ण कार्य इसी टीम के अंतर्गत आता है। वक्तृत्व दल जैसे "धरती"। जिस
प्रकार धरती सदैव जमींदोज रहती हैं उसी प्रकार वक्तृत्व टीम ये जानते हुए
कि व्यक्ति के बोलने का तरीका उसके व्यक्तित्व को उजागर करता है, छात्रों
के आत्मविश्वास और संपूर्ण व्यक्तित्व को विकसित करने में सहायता करती है
और उनके व्यक्तित्व को निखारती है। जिस प्रकार "पाताल" अदृश्य होकर ,आकाश
और पृथ्वी को अपने ऊपर संजोये हुए है। उसी प्रकार ,डिजाइन टीम ,समिति के
लिए रचनात्मक और आकर्षक पोस्टर डिजाइन करते हुए पिछले-छोर पर काम करती
है। हिन्दी साहित्यिक एवं वाद-विवाद समिति संस्थान में आयोजित होने वाले
सांस्कृतिक एवं तकनीकी उत्सवों के दौरान मंच संचालन, पत्रकारिता, पोस्टर
डिजाइन एवं विभिन्न लेखन कार्यों में अपनी विशेष भूमिका निभाती है।
वक्तृत्व समूह (Oratory Team) समिति के प्रतिनिधित्व में अहम भूमिका निभाता है । संस्थान में आयोजित सभी कार्यक्रम में मंच संचालन का कार्यभार वक्तृत्व दल द्वारा ही संभाला जाता है। साथ ही इस दल के सदस्य भरे मंच पर आकर्षक एवं मनोरंजन प्रस्तुति देने का कौशल रखते हैं। इन प्रस्तुतियों में शायरी, ग़ज़ल, गीत, कविता सभी प्रकार के रस दिखाई देते हैं । लेखन दल द्वारा लिखे गए विचारों को आवाज़ देने का काम वक्तृत्व दल का होता हैं। यह दल वक्ता को अपने विचारों को प्रभावी रूप से व्यक्त करने में निपुण बनाता है
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